शैक्षणिक और तकनीकी संस्थानों के समागम से होगा छात्रों का विकास- प्रोफेसर मुकेश पांडे

झांसी। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत छात्रों को सैद्धांतिक शिक्षा के साथ-साथ प्रायोगिक शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षा के समन्वय से ही छात्र राष्ट्रीय विकास में अपनी भागीदारी निभा सकते हैं। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी एवं आईसीएआर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के मध्य हुए एमओयू पर व्यक्त किए। आईसीएआर भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र के समिति कक्ष में आभासी माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित ही इससे बुंदेलखंड के छात्रों के साथ ही बुंदेलखंड में कृषि एवं दलहन के विकास में सहयोग मिलेगा। आईसीएआर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर बंसा सिंह ने कहा कि इस एमओयू के माध्यम से बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के परास्नातक एवं पीएचडी में शोधरत छात्रों को प्रायोगिक कार्य करने का अवसर मिलेगा। संस्थान सदैव से ही छात्र गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए अग्रसर रहा है। भारतीय छात्र की विश्व में विशिष्ट पहचान है अगर उसे शोध के संपूर्ण अवसर प्रदान किया जाए तो निश्चित ही वैश्विक परिदृश्य पर भारत की सशक्त छवि निर्माण करने में सहायक होगें। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के एमओयू प्रतिनिधि सहायक आचार्य डॉ कौशल त्रिपाठी ने कहा कि इस एमओयू के संपूर्ण होने में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के सहायक आचार्य डॉ राजेश कुमार पांडे, भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र के चेयरमैन एचआरडी डॉ राजकुमार मिश्रा एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ अविंद्र कुमार सिंह का विशेष सहयोग रहा है। स्वागत उद्बोधन डॉ राजकुमार मिश्रा ने दिया। संचालन एवं आभार सचिव एचआरडी डॉ सीपी नाथ द्वारा दिया गया। इस अवसर पर पीएमई मेंबर सेक्रेट्री डॉ आदित्य प्रताप, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कुमार विवेक, सदस्य एचआरडी डॉ आलोक दास, डॉ डीजे सेनगुप्ता, के साथ अनेक वैज्ञानिक उपस्थित रहे।