झांसी। गुरुवार को एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के आदेश पर नारायण बाग के पास डडियापुरा में कथित अतिक्रमण रूपी धार्मिक स्थलों को हटाने पहुंचे निगम के अतिक्रमण विरोधी दस्ते को उत्तेजित भीड़ ने घेर लिया और जब बुलडोजर आगे बढ़ा तो प्रदर्शनकारी इसके आगे लेट गए और हंगामा शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि धार्मिक स्थल बहुत पुराना है लिहाजा यहां कार्रवाई नहीं होने देंगे। भारी विरोध को देख निगम का दस्ता एक सप्ताह का समय देकर बगैर कार्रवाई किए ही वापस लौट आया।

दरअसल, गिरिजा शंकर, नरेंद्र कुशवाहा बनाम स्टेट ऑफ यूपी के मामले में एनजीटी ने प्राचीन लक्ष्मी ताल के आसपास अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया हुआ है। नगर निगम और जेडीए ने नारायण बाग के आसपास सात निर्माण चिन्हित किए हैं। इनमें तीन धार्मिक स्थल और बापू का टापू समेत दो अन्य निर्माण शामिल हैं। गुरुवार दोपहर करीब बारह बजे सिटी मजिस्ट्रेट, अपर नगर आयुक्त मो.कमर की अगुवाई में बुलडोजर संग अतिक्रमण विरोधी दस्ता वहां पहुंचा। बुलडोजर संग दस्ते को देखकर आसपास खलबली मच गई। चिन्हित स्थलों पर नोटिस चस्पा होते ही सैकड़ों लोग जमा हो गए।

आक्रोशित लोगों ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। हालात बिगड़ता देख नवाबाद, प्रेमनगर, सदर बाजार समेत अन्य थानों से पुलिस बल भी बुला लिया गया। प्रशासनिक अफसरों ने स्थानीय लोगों को कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए समझाने की कोशिश की लेकिन, प्रदर्शनकारी सुनने को राजी नहीं हुए। दोनों समुदायों के लोगों से भी बात कर काफी देर तक समझाने की कोशिश की गई लेकिन, वह किसी कीमत पर कार्रवाई न होने देने पर अड़े थे। गतिरोध बढ़ता देख अफसरों ने उच्च अधिकारियों को मौके की स्थिति के बारे में बताया। इसके कुछ देर बाद एक सप्ताह का समय देकर बिना कार्रवाई किए ही दस्ता वापस लौट गया। अपर नगर आयुक्त मो. कमर का कहना है कि कार्रवाई से राहत के लिए स्थानीय लोगों को न्यायालय की शरण लेनी होगी।

जुटते हैं हर धर्म के लोग
लक्ष्मी ताल पर स्थित धार्मिक स्थल काफी पुराने हैं। इनमें एक तो चार सौ साल पुराना बताया जा रहा है। यहां हर धर्म के लोग जुटते हैं। यह संपत्ति वक्फ बोर्ड में भी दर्ज की गई है। उनके पास इससे संबंधित सभी कागजात हैं। उन्होंने वक्फ बोर्ड से संबंधित कागजात भी दिखाए लेकिन, अफसरों ने अदालत के आदेश का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए।