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झांसी। झांसी में सिंचाई विभाग में तैनात एक लिपिक को हत्या के मामले में करीब 20 दिन पहले उम्र कैद की सजा हो गई और किसी को पता नहीं चला। अभियुक्त लिपिक अचानक छुट्टी लेकर गायब हो गया था। इस अजीब मामले का अब पता चला है कि हत्या के मामले में वह उम्रकैद की सजा काट रहा है। इसकी जानकारी हुई तो विभाग में अफरातफरी मच गयी है और अब फाइलें खंगाली जा रही हैं क्योंकि हत्या का मुकदमा उस पर 2013 मे दर्ज हुआ था और उसकी नियुक्ति 2018 मे हुई थी। सवाल उठ रहे हैं कि आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद भी उसे नौकरी कैसे मिल गई?

झांसी के नवाबाद थाना क्षेत्र निवासी अनूप दुबे के पिता मिथलेश दुबे सिंचाई विभाग में अभियंता थे। अनूप दूबे को अनुकंपा पर 2018 में नौकरी मिली थी। उसकी ज्वाइनिंग सिंचाई निर्माण मंडल महोबा में हुई थी, लेकिन बाद में उसे झांसी मंडल से अटैच कर दिया गया। अनूप दुबे 13 अगस्त को आखिरी बार ऑफिस आया और 1 दिन की आकस्मिक छुट्टी का प्रार्थना पत्र देकर चला गया।

दोस्त की हत्या कर जलाया था शव

झांसी के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के नैनागढ़ निवासी लाखन सिंह तोमर ने 11 साल पहले प्रेमनगर पुलिस को तहरीर देकर बताया था की उसका बेटा देवेंद्र सिंह 14 मई 2013 को बाइक लेकर अकेला घर से निकला था. 16 मई तक वह नहीं लौटा। सभी जगह तलाश की लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। बाद में पता चला कि 14 मई को बबीना के पास वैन में गौरव झा, कपिल शर्मा, अनूप दुबे और आकाश के साथ देवेंद्र शराब पार्टी कर रहा था तब वह गौरव के घर पहुंचा। वहां चारों युवक बैठे थे। बेटे के बारे में पूछा तो चारों ने कहा- तेरा बेटा बहुत दादा था। पिकनिक मनाने उसे बबीना ले गए और वहां गोली मारकर उसकी हत्या कर दी है, शव जला दिया है। पुलिस को शिकायत करेगा तो तुझे भी मार देंगे। इसके बाद पुलिस ने अनूप सहित अन्य चार साथियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया और गिरफ्तार जेल भेज दिया। कुछ समय बाद बाद पिता मिथलेश ने उसको जमानत पर दिलवाकर बाहर निकाला।

14 अगस्त, 2024 को झांसी कोर्ट ने हत्या के मामले में अनूप समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और जेल भेज दिया। इधर अनूप 1 दिन की छुट्टी के बाद कई दिन तक जब ऑफिस नहीं आया तो विभाग ने उसकी तलाश शुरू की। पता चला कि अनूप दुबे अपने तीन अन्य साथियों सहित जेल की हवा खा रहा है।

चरित्र प्रमाण पत्र में अपराधिक मुकदमे को किसने अनदेखा कर दिलाई नियुक्ति

अनूप के जेल जाने की जानकारी मिलते ही विभाग के अधिकारियों में झांसी से लेकर महोबा तक खलबली मची हुई है क्योंकि  2018 में अनूप को अनुकंपा पर नियुक्ति मिलने से पहले ही 2013 में उस पर दोस्त की हत्या करने का मुकदमा चल रहा था। वह कई महीनों तक जेल भी जाकर आया था, लेकिन कैसे बिना जांच किए उसको नियुक्ति दे दी गई। यदि अनूप ने कैरेक्टर प्रमाण पत्र विभाग को दिया तो उसमे हत्या जैसे संगीन अपराध को कैसे छिपा दिया गया। फिलहाल मामले की विभागीय जांच की जा रही है और पूरे मामले से महोबा के सिंचाई निर्माण खंड को अवगत करा दिया है, क्योंकि अनूप की जॉइनिंग महोबा में हुई थी, झांसी में वह अटैच था।