झांसी। वीरांगना लक्ष्मीबाई की नगरी झांसी की प्रतिभा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि लगन और मेहनत से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। इसका उदाहरण झांसी के सुधीर कुमार जैन और स्व डॉ. ममता जैन की छोटी बेटी मृदुभाषिनी जैन हैं। उन्होंने अपनी काबिलियत से दुनिया की नंबर 1 रैंक वाली हावर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जगह बनाई है।
गौरतलब है कि इस सम्मेलन के लिए 70 से अधिक देशों से आए 50,000 से अधिक आवेदकों में से मात्र 1% से भी कम प्रतिभागियों का चयन हुआ, जिसमें मृदुभाषिनी का नाम शामिल होना न केवल झांसी बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। वह झांसी की पहली प्रतिभागी हैं, जिन्हें इस सम्मान के लिए चुना गया है।
कठिन चयन प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
इस प्रतिष्ठित सम्मेलन की चयन प्रक्रिया अत्यंत कठिन और चुनौतीपूर्ण थी, जिसमें वैश्विक स्तर पर युवा प्रतिभाओं का मूल्यांकन किया गया। प्रतिभागियों को गहन समीक्षा और कठोर साक्षात्कार प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा, जहां उनकी बौद्धिक क्षमता, नेतृत्व कौशल, शोध कार्य, और वैश्विक समस्याओं पर उनके दृष्टिकोण का परीक्षण किया गया।
सम्मेलन में दुनिया के प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता ओलिवर हार्ट सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपने विचार साझा किए। मार्क फ्रीडमैन, जेनिका ओजा, विशाखा राजेश महेश्वरी और बॉस्टन की श्रम मंत्री जूली सू जैसे प्रसिद्ध व्यक्तित्व भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
केस स्टडी प्रेजेंटेशन से बढ़ाया भारत का मान
इस सम्मेलन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि मृदुभाषिनी जैन ने एक केस स्टडी पर अपना प्रेजेंटेशन भी दिया, जिसमें उन्होंने अपने शोध और विचारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया। उनके विचारों और प्रस्तुति की सभी ने सराहना की, जिससे भारत का नाम इस प्रतिष्ठित मंच पर और भी ऊँचा हुआ।
झांसी की प्रेरणा बनीं
इस उपलब्धि के साथ मृदुभाषिनी जैन ने यह साबित कर दिया है कि झांसी की बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी पहचान बनाने में सक्षम हैं। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल झांसी बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित किया है। यह सफलता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला रखते हैं।