झांसी। लाचार प्रशासनिक व्यवस्था के कारण साधारण व्यक्तियों को न्याय के लिए कितना दंश झेलना पड़ता है इसका उदाहरण आज अंजू गुप्ता अध्यापिका लोकमान्य तिलक कन्या इंटर कॉलेज झांसी के द्वारा मीडिया को बताई गई अन्याय के खिलाफ संघर्ष गाथा में उजागर हुआ। उन्होंने कहा कि हमने सत्य के लिए संघर्ष किया न्याय नहीं मिला उल्टे उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर उत्पीड़न शोषण शुरू कर दिया गया। वह हिम्मत नहीं हारी हैं, संघर्ष जारी है और रहेगा।
अंजू गुप्ता व अवधेश गुप्ता ने बताया कि लोकमान्य तिलक इंटर कॉलेज झांसी विद्यालय द्वारा दो तदर्थ अध्यापिकाओं को 22 वर्षों (1998 से 2020 तक) तक स्थायी दिखाकर अनुचित वित्तीय लाभ दिलाए जाते रहे, लेकिन इस पर कोई जांच नहीं की गई। इस संबंध में की गई शिकायत का निस्तारण बिना किसी जांच के कर दिया जाता रहा । इस संबंध में जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत मांगी गई सूचना में भी विद्यालय द्वारा तदर्थ अध्यापिकाओं की तदर्थ नियुक्ति की बात छुपाने का प्रयास किया गया।
उन्होंने बताया कि पहली बार जिला विद्यालय निरीक्षक झांसी कोमल सिंह यादव के समक्ष 11/06/2020 को
विद्यालय प्रबंधक राकेश पाठक एवं प्रधानाचार्या अर्चना सिंह ने माना कि विद्यालय में कार्यरत तदर्थ शिक्षकाओं का अभी तक विनियमितिकरण नहीं हुआ है। इसके बाद अंजू गुप्ता की शिकायत पर संयुक्त शिक्षा निदेशक झांसी मंडल झांसी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा की गई जांच में यह तथ्य सामने आया कि विद्यालय द्वारा तथ्य गोपन करके तदर्थ अध्यापिकाओं को स्थायी दिखाकर उनको चयन वेतनमान, पदोन्नति के लाभ दिलाए गए थे।
उन्होंने तदर्थ अध्यापिकाओं का चयन वेतनमान एवं पदोन्नति निरस्त कर उनके द्वारा लिए गए वेतन की रिकवरी के आदेश 04 सितंबर 2020 को दिए थे। इस संबंध में विद्यालय प्रबंधक द्वारा तथ्य गोपन किए जाने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
आरोप है कि इस प्रकरण के बाद विद्यालय प्रबंधक द्वारा शिकायतकर्ता अंजू गुप्ता को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। लगातार मौका मिलते ही अंजू गुप्ता के साथ विद्यालय में अभद्रता करते, लेकिन उनके खिलाफ कोई गवाह न होने पर अंजू गुप्ता की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती। विद्यालय प्रबंधक द्वारा अंजू गुप्ता का विद्यालय में सोशल बहिष्कार करवा दिया गया, कोई भी अध्यापिका विद्यालय में अंजू गुप्ता से बात नहीं कर सकती थी ना ही उनके साथ भोजन कर सकती थी अगर गलती से किसी अध्यापिका ने बात कर ली, तो प्रबंधक उस अध्यापिका को टारगेट करके उसके साथ भी अभद्रता करते।
विद्यालय द्वारा किसी भी शासनादेश का पालन नहीं किये जाने से अंजू गुप्ता की वरिष्ठता एवं पदोन्नति से वंचित रखा गया। इस संबंध में अंजू गुप्ता द्वारा की गई शिकायतों का निस्तारण भी जांच किए बिना होता रहा। जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेशों का पालन भी विद्यालय द्वारा नहीं किया गया, और न ही इस पर कोई कार्रवाई हुई। 25 जुलाई 2025 को विद्यालय प्रबंधक राकेश पाठक के द्वारा प्रबंध समिति के समक्ष अंजू गुप्ता को धक्का देकर प्रधानाचार्या कक्ष से बाहर निकाल दिया, यह घटना सीसीवीटी कैमरे में कैद हो गई। अंजू गुप्ता अपने प्रोन्नत वेतनमान के प्रार्थना पत्र पर प्रबंधक के द्वारा अग्रसित न करने पर, विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री संजीव कुंडे को इस संबंध में दिए गए प्रार्थना पत्र पर प्रधानाचार्या कक्ष में बात करने गयी थी।
विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों के समक्ष की गई अभद्रता से आत्मसम्मान को ठेस पहुंचने पर अंजू गुप्ता ने शहर कोतवाली थाना में शिकायत दर्ज कराई जिसकी जांच में पाया गया कि प्रबंधक के द्वारा सीसीटीवी कैमरे की हार्डडिस्क गायब करवा दी, जिससे अभद्रता के फुटेज नहीं मिल सकें। इस संबंध में शहर कोतवाली थाना द्वारा विद्यालय प्रबंधक राकेश पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है। इस संबंध में महिला थाना प्रभारी किरण रावत, इंस्पेक्टर पूजा चौधरी, शहर कोतवाली थाना प्रभारी राजेश सिंह, इंस्पेक्टर ओमपाल सिंह के द्वारा निष्ठापूर्वक जांच करने से मुझे न्याय मिलने की उम्मीद जाग गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि एफआईआर दर्ज होने से प्रबंधक के द्वारा अंजू गुप्ता को विद्यालय से निलंबित करने एवं उनके परिवार को षड्यंत्र के तहत फंसाने की धमकी दी गई है। प्रेस वार्ता के दौरान अंजू गुप्ता ने अपना पक्ष रखते हुए प्रशासन से अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है।