झांसी
। शब-ए-बारात दो शब्दों, ‘शब’और ‘बारात’ से मिलकर बना है, जहाँ ‘शब’ का अर्थ ‘रात’ होता है वहीं बारात का मतलब ‘बरी होना’ होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रातबेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानी जाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।अल्लाह के साथ साथ सभी से अपनी जानी अनजानी ग़लतियों की माफी मांगते हैं और दोबारा ग़लती न दोहराने का संकल्प लेते हैं। यही सब कुछ शिया मुसलमानों ने आज किया लेकिन घर के अंदर।
मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी साहब ने सोशल मीडिया के ज़रिये दुआऐं पढ़ाई और शबे बारात की फ़ज़ीलत ब्यान की। तिलावते क़ुरान के बाद मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी ने सभी मरहूमीन (स्वर्गीय) मोमनीन और मोमिनात के हक़ में मग़फिरत की दुआ की।
वरिष्ठ समाजसेवी सैयद शहनशाह हैदर आब्दी ने ख़ुद भी अपनी जानी अनजानी ग़लतियों के लिये समस्त मानव जाति से और ख़ुदा से क्षमा प्रार्थना की और समाज की ओर से माफी मांगी और दोबारा ग़लतियों को न दोहराने का संकल्प लिया। अंत में नज़र के बाद सामूहिक प्रार्थना में बिरगाहे ख़ुदावंदी में हाथ उठाकर दुआ हुई,”ख़ुदाया सारी दुनिया को तमाम कठिन मुश्किलों और बीमारियों से नजात दे – आमीन।” शबे बारात की सबको दिल से मुबारक बाद देने के बाद घर घर में नज़र का तबर्रुक तक़सीम हुआ।आभार सैयद राहत हुसैन ने ज्ञापित









